Muhammad Yunus Announces Bangladesh National Elections for April 2026

बांग्लादेश में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय चुनाव अप्रैल 2026 के पहले पखवाड़े में कराए जाएंगे. इसकी घोषणा शुक्रवार को देश के अंतरिम प्रमुख और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने की. 84 वर्षीय यूनुस ने कहा, मैं देश के नागरिकों को यह घोषणा कर रहा हूं कि चुनाव अप्रैल 2026 के पहले पखवाड़े में किसी भी दिन होंगे. हालांकि मतदान की सटीक तिथि अभी तय नहीं की गई है.

यह चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद पहला राष्ट्रीय चुनाव होगा. शेख हसीना को अगस्त 2024 में हुए एक छात्र-आंदोलन के कारण सत्ता छोड़नी पड़ी थी, जिसके बाद उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी थी. बड़े पैमाने पर हुए उस विद्रोह ने 15 वर्षों से चल रहे अवामी लीग शासन को खत्म कर दिया था और देश में राजनीतिक अस्थिरता फैल गई थी.

हसीना सरकार के पतन के बाद अंतरिम सरकार का गठन किया गया, जिसमें मुहम्मद यूनुस को स्थिरता बहाल करने और स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव की तैयारी का जिम्मा सौंपा गया, लेकिन तब से लेकर अब तक यूनुस की कार्यवाहक सरकार को विभिन्न राजनीतिक दलों और नागरिक समाज से उठ रही मांगों को संतुलित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

अवामी लीग को पंजीकरण कर दिया रद्द

इस बीच, अवामी लीग की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. पार्टी का पंजीकरण इस महीने निलंबित कर दिया गया है, जिससे वह आगामी चुनाव में भाग नहीं ले सकेगी. इस निर्णय की व्यापक आलोचना हो रही है.

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने सोशल मीडिया के जरिए यूनुस पर “प्रतिशोध की राजनीति” करने का आरोप लगाया है. वहीं, विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने चुनाव दिसंबर 2025 तक कराने की मांग दोहराई है. बीएनपी का कहना है कि बिना स्पष्ट समयसीमा के अंतरिम सरकार को समर्थन देना कठिन होता जा रहा है.

सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने भी इस वर्ष के अंत तक चुनाव कराए जाने की पैरवी की है और देश में चल रहे राजनीतिक गतिरोध पर अपनी चिंता जाहिर की है. वहीं, पिछले साल के आंदोलन से उभरी नई नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) का कहना है कि जब तक वादा किए गए संस्थागत सुधार पूरे नहीं होते, तब तक चुनाव कराना जल्दबाजी होगी.

यूनुस पर चुनाव कराने का प्रेशर

सरकार ने राष्ट्रीय सहमति आयोग (एनसीसी) का गठन किया है, जो कार्यवाहक सरकार की व्यवस्था को बहाल करने, न्यायपालिका की स्वतंत्रता को मजबूत करने और संवैधानिक सुधारों पर चर्चा कर रहा है. हालांकि, इनमें से कुछ प्रस्तावों को समर्थन मिला है, लेकिन द्विसदनीय विधायिका जैसे सुझाव अब भी विवादों में घिरे हुए हैं.

ढाका समेत देश के विभिन्न हिस्सों में सिविल सेवकों, शिक्षकों और आम नागरिकों के बढ़ते विरोध प्रदर्शनों ने कानून-व्यवस्था पर चिंता बढ़ा दी है. राजनीतिक सहमति की कमी के बीच देश अनिश्चितता की स्थिति में पहुंच गया है, जिससे आम जनता चिंतित है. जून की शुरुआत में राजनीतिक दलों के साथ बातचीत के अगले दौर की योजना बनाई गई है, जिससे स्थिरता की उम्मीद बंधी है.

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